Thursday, August 11, 2016
प्रमुख दर्शन/प्रवर्त्तक १. अव्दैतवाद ------- शंकराचार्य २. विशिष्टा अव्दैतवाद ------- रामानुजाचार्य ३. व्दैतवाद ------- मध्वाचार्य ४. व्दैताव्दैतवाद ------- निम्बार्क ५. शुध्दाव्दैतवाद ------- वल्लभाचार्य ६. मीमांसा दर्शन ------- जैमिनी ७. सांख्य दर्शन ------- कपिल मुनि ८. योग दर्शन ------- पतंजलि ९. न्याय दर्शन ------- गौतम १०. वैशेषिक दर्शन ------- कणाद ११. चार्वाक ( लोकायत ) ------- म्वार्हस्पत्य १२. जैन दर्शन ( स्यादवाद ) ------- पाश् र्वनाथ १३. संघातवाद ------- गौतम बुघ्द
Friday, June 10, 2016
हिंदी स्वरों का वर्गीकरण
हिंदी स्वरों का वर्गीकरण
(1)मात्रा के आधार पर : मात्रा के आधार पर स्वर दो प्रकार के होते हैं (क) ह्रस्व (ख) दीर्घ
(क) ह्रस्व : जिनके उच्चारण में कम समय लगता है जैसे अ ,इ , उ ह्रस्व स्वर हैं ।
(ख) दीर्घ : जिनके उच्चारण में अपेक्षाकृत अधिक समय लगे वे दीर्घ स्वर हैं । हिंदी में आ , ऑ , ई , ऊ , ए , ऐ , ओ और औ दीर्घ स्वर हैं ।
(2) जिह्वा के आधार पर : कुछ स्वरों के उच्चारण में जीभ का अग्रभाग काम करता है, कुछ में मध्यभाग तथा कुछ में पश्चभाग। इसी आधार पर स्वर तीन प्रकार के माने गए हैं :
(क) अग्र स्वर : इ ,ई , ए , ऐ
( ख) मध्य स्वर : अ
( ग) पश्च स्वर : उ , ऊ , ओ , औ , ऑ , आ
(3) हवा के नाक व मुँह से निकलने के आधार पर : जिन स्वरों के उच्चारण में हवा केवल मुँह से निकलती है, उन्हें मौखिक या निरनुनासिक स्वर कहते हैं । अ , आ , इ आदि । जिन स्वरों के उच्चारण में हवा नाक से भी निकलती है उन्हें अनुनासिक स्वर कहते हैं -- अँ , आँ , इँ आदि ।
(4) ओष्ठों की स्थिति के आधार पर : कुछ स्वरों के उच्चारण में ओष्ठ वृत्तमुखी या गोलाकार होते हैं । इस आधार पर दो भेद होते हैं :
( क) वृत्तमुखी -- उ , ऊ , ओ , औ ,ऑ
(ख) अवृत्तमुखी -- अ , आ , इ , ई , ए , ऐ
(5) जीभ के उठने के आधार पर : चार भेद होते हैं :
( क) संवृत : इ , ई , उ , ऊ
( ख) अधसंवृत : ऐ , ओ
(ग) अर्धनिवृत : ऐ , अ , औ , ऑ
(घ) निवृत : आ
हिंदी ध्वनियाँ
हिंदी ध्वनियाँ
1.स्वर :-- स्वर उन ध्वनियों को कहते हैं जिनके उच्चारण में ( मुँह में) वायुमार्ग में किसी भी प्रकार की पूर्ण या अपूर्ण रूकावट नहीं होती । परंपरागत रूप में इनकी संख्या तेरह मानी गई है :
अ आ इ ई उ ऊ
ऋ ए ऐ ओ औ
अं अः
उच्चारण की दृष्टि से इनमें केवल दस ही स्वर हैं :
अ आ इ ई उ ऊ
ए ऐ ओ औ
2.व्यंजन :-- व्यंजन उन ध्वनियों को कहते हैं जिनके उच्चारण में ( मुख- विवर में) वायुमार्ग में पूर्ण या अपूर्ण व्यवधान उपस्थित होता है ।
परंपरागत रूप में निम्नलिखित व्यंजन माने गए हैं :
क ख ग घ ड.
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व श
ष स ह